Sarkari Exam में Merit कैसे बनती है? जानिए पूरा प्रोसेस Cut Off और Reservation System
Merit in Sarkari Exam – सरकारी एग्जाम में merit का बहुत अधिक महत्व होता है। कहीं छात्र सरकारी परीक्षा पास करने के बाद भी असमंजस में रहते हैं की merit list में उनका नाम क्यों नहीं आया इसका कारण और मेरिट लिस्ट कैसे बनता है इसका सही जवाब आज के इस लेख में हम देने […]

Merit in Sarkari Exam – सरकारी एग्जाम में merit का बहुत अधिक महत्व होता है। कहीं छात्र सरकारी परीक्षा पास करने के बाद भी असमंजस में रहते हैं की merit list में उनका नाम क्यों नहीं आया इसका कारण और मेरिट लिस्ट कैसे बनता है इसका सही जवाब आज के इस लेख में हम देने जा रहे हैं। आज इस लेख में हम आपको बताएंगे की मेरिट लिस्ट कैसे तैयार होता है और क्या सिर्फ score ही मेरिट लिस्ट में नाम लाने के लिए काफी होता है इसके अलावा कौन-कौन से अन्य फैक्टर के कारण मेरिट प्रभावित होता है इसके बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी।
Merit in Sarkari Exam – Overview
Steps | Participation in Merit |
Raw Score | उम्मीदवार द्वारा प्राप्त अंक |
Normalization | सभी शिफ्ट के अंक समान स्तर पर लाना |
Cutoff Decide | Minimum Qualifying Score |
Reservation Apply | GEN/OBC/SC/ST/EWS कोटा |
Tie-Breakers | बराबरी की स्थिति में प्राथमिकता तय करना |
Final Merit List | चयनित उम्मीदवारों की सूची |
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Merit List क्या होता है?
Meri List का मतलब चयन सूची जिसमें योग्यता और स्कोर के आधार पर टॉप candidates का नाम शामिल होता है। merit list में जी कैंडिडेट का नाम शामिल होता है उसे नौकरी दी जाती है।
यह list तय करती है कि किस नौकरी या admission मिलेगा। मेरिट लिस्ट एक तरह से selection list या फाइनल रिजल्ट लिस्ट होता है जिसमें अब तक के सभी चरण के परीक्षा के आधार पर विद्यार्थियों का चयन किया जाता है और एक लिस्ट बनाया जाता है।
मेरिट कैसे बनती है
Merit कुछ चीजों के आधार पर बनती है जिसकी सूची नीचे दी गई है –
- सबसे पहले मेरिट में नाम exam score के आधार पर आता है। अपने Prelims, Mains या कोई भी परीक्षा दी है तो उसमें ले गए अंक के आधार पर लिस्ट होता है।
- इसके बाद normalization किया जाता है अलग-अलग shift में question pape, हार्ड या आसान हो सकता है तो उसके आधार पर हार्ड क्वेश्चन पेपर वाले शिफ्ट के विद्यार्थी को कुछ अंक एक्स्ट्रा दिया जाता है इस वजह से लिस्ट फिर चेंज हो जाती है।
- इसके बाद category के आधार पर लिस्ट तैयार किया जाता है। हर कैटेगरी के लिए अलग-अलग cut off और अलग-अलग लिस्ट तैयार होता है।
- इसके बाद tie breaking rule लागू किया जाता है। इसमें अगर दो विद्यार्थियों का एक जैसा अंक आता है तो पहले नाम उसका रखा जाता है जिसका उम्र ज्यादा होता है।
- इसके बाद document verification, medical और अन्य फाइनल राउंड के अंक को देखा जाता है और उसके आधार पर लिस्ट को फिर चेंज किया जाता है।
- इस तरह अंत में एक final merit list तैयार होता है जिसके आधार पर कैंडिडेट का चयन होता है।
Normalization का रोल क्या है और इसका असर
एक मेरिट लिस्ट में नॉर्मलाइजेशन का असर क्या होता है और यह कैसे काम करता है इसकी जानकारी नीचे टेबल के रूप में बताई गई है –
Points | Effects |
Multiple shifts में Paper | सबकी difficulty अलग होती है |
Score को Equate किया जाता है | Stats के ज़रिए Score Adjust होते हैं |
इसका असर Cutoff और Merit पर होता है | कुछ को Bonus, कुछ को Adjusted Marks मिलते हैं |
Cut Off और Merit List में क्या अंतर है?
Cut Off और merit में कुछ मुख्य अंतर होते हैं जिनकी जानकारी नीचे सूचित की गई है –
Cut Off
- यह काम से कम स्कोर होता है जो किसी exam को qualifying करने के लिए जरूरी होता है।
- अलग-अलग stage पर अलग-अलग कट होता है अर्थात अलग-अलग एग्जाम देते हैं तो हर एग्जाम का अलग-अलग कट ऑफ आता है।
- Category के हिसाब से अलग-अलग कट ऑफ होता है और यह केवल qualifying के लिए होता है।
- कट ऑफ के आधार पर कैंडिडेट को क्वालीफाई किया जाता है और अगले चरण की परीक्षा में भेजा जाता है।
Merit
- टॉप स्कोर वाले candidates की सूची को मेरिट लिस्ट कहा जाता है।
- यह सभी चरण के परीक्षा को ध्यान में रखते हुए प्राप्त किए गए अंक के आधार पर एक टॉप लिस्ट तैयार होती है।
- यह नौकरी के लिए फाइनल सिलेक्शन होता है।
- कैटिगरी के हिसाब से मेरिट लिस्ट बनती है इसका नेचर बहुत ही कॉम्पिटेटिव होता है इसमें क्वालीफाई करने से काम नहीं चलता है इसमें सबसे एक्सीलेंस के आधार पर नाम आता है।
क्या केवल Marks से Merit बनती है?
देखिए किसी एक परीक्षा में केवल अच्छा marks लाने से आपका मेरिट लिस्ट तैयार नहीं होता है यह अलग-अलग फैक्टर पर dependent करता है। उदाहरण के तौर पर सबसे पहले आप परीक्षा में कितना अंक लेकर आए हैं यह एक factor है इसके हिसाब से लिस्ट तैयार होती है।
लेकिन इसके बाद जेंडर कोटा होता है जिसमें महिला आरक्षण के आधार पर महिलाओं को अलग किया जाता है और लिस्ट चेंज हो जाती है। इसके बाद reservation आता है जिसमें अलग-अलग category के लोगों के लिए अलग-अलग merit list बनाई जाती है। इसके बाद राज्य को प्राथमिकता दी जाती है अगर आप जिस राज्य के लिए आवेदन कर रहे हैं इस राज्य के नागरिक हैं तो आपका नाम ऊपर रखा जाता है और दूसरे राज्य के लोगों को नीचे रखा जाता है। इसके बाद अगर दो विद्यार्थियों का एक जैसा अंक आया है तो जिसकी उम्र ज्यादा है उसका नाम ऊपर रखा जाता है और जिसकी उम्र कम है उसका नीचे रखा जाता है।
इस तरह अलग-अलग चरण जैसे medical या interview के आधार पर जो अंक लाए हैं उसे जोड़कर भी नाम को ऊपर नीचे किया जाता है। इस तरह केवल एक परीक्षा में अंक लाने से काम नहीं चलता है अलग-अलग फैक्टर के आधार पर लिस्ट में candidates का नाम ऊपर नीचे होता है और लास्ट में एक final list आती है।
निष्कर्ष
आज इस लेख में हमने आपको बताया की merit list कैसे तैयार होता है और मेरिट सिर्फ marks का नहीं बल्कि system और नियमों का एक combination होता है। अगर आप चाहते हैं कि आपका नाम मेरिट लिस्ट में आए तो सिर्फ पास होने से नहीं बल्कि टॉप स्कोर करने और सही स्ट्रेटजी से सभी चरणों में अच्छा अंक लाने से नौकरी मिलेगी। अंत में प्रैक्टिस रणनीति और धैर्य ही आपको मेरिट लिस्ट तक पहुंचा सकता है।